इजरायली सरकार मुर्दबाद ! गाज़ा में नरसंहार बन्द करो !! फ़िलीस्तीनी नागरिकों का कत्लेआम बन्द करो !!! इजरायल ने 14 नवम्बर को गाज़ा पर हमला कर हमास के सेनापति अहमद जबारी की हत्या कर दी और अब गाज़ा पर इजरायल के इस हमले को दूसरा हफ़्ता होने वाला है। इस हमले में इजरायल ने हमास के शासन वाली गाजा पट्टी पर एफ़-16, युद्धपोत, रॉकेट लॉन्चर,ड्रोन्स इत्यादि से हमले किये। इज़रायली सेना ने अपने हजारों रिजर्व सैनिकों, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को हमास के शासन वाले गाजा सीमा पर तैनात किया है। प्रतिक्रिया में हमास ने भी रॉकेट लॉन्चर दागे हैं। इज़रायल द्वारा किये गये इस हमले में अब तक बच्चों, महिलाओं समेत लगभग लोग 140 मारे गये हैं तथा 900 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं कई अपंग हो गये हैं। 14 मई 1948 को उत्पीड़ित समुदाय के रूप में यहुदियों के लिये अलग राष्ट्र के रूप में इजरायल अस्तित्व में आया। यह इज़रायल फिलीस्तीन को बांटकर अस्तित्व में आया। फिलीस्तीन का एक हिस्सा इज़रायल के रूप में तो शेष हिस्सा मिस्र व जॉर्डन के कब्जे में रहा। फिलीस्तीनी राष्ट्र के लिये फिलीस्तीनी अवाम का संघर्ष जारी रहा।दूसरी ओर पश्चिमी एशिया में अमेरिकी साम्राज्यवादियों के लठैत बने धूर्त इज़रायली शासकों ने 1967 तक आते-आते पूरे ही फिलीस्तीन पर कब्जा कर लिया। 1987 में इज़रायली कब्जे वाले वेस्ट बैंक व गाज़ा पट्टी में रह रही फिलीस्तीनी जनता ने ‘इन्तिफ़ादा’ के नाम से मशहूर जन विद्रोह छेड़ दिया। इज़रायली शासको के टैंको व जबर्दस्त हवाई हमलों के बावज़ूद यह ‘इन्तिफ़ादा’ कुचला न जा सका।अन्तत: दबाव में आकर अमेरिकी साम्राज्यवादियों व इज़रायली शासकों को 1993 में ‘ओस्लो समझौता’ करना पड़ा। इसके तहत वेस्ट बैंक व गाज़ा पट्टी के जेरिचो इलाके में स्वायत्ता वाली फिलीस्तीनी औथोरिटी की स्थापना की गयी जिसे बेहद सिमित अधिकार थे कुछ समय बाद ही फिलीस्तीनी अवाम का मोह इससे भंग हो गया।उसका संघर्ष दूसरे इन्तिफ़ादा के रूप में फ़िर शुरु हो गया। इसका भी भीषण दमन किया गया। अकूत शहादतों के बावज़ूद फिलीस्तीनी अवाम का संघर्ष जारी रहा। एक ओर संघर्ष तो दूसरी ओर इजरायल का हमला समय-समय पर जारी रहा। इजरायली शासक एक बार फिर से खूंखार और हमलावर हो गये हैं। एक तरफ उन्होंने गाजा पट्टी पर हमला बोला हुआ है और दूसरी तरफ वे सीरिया को उकसा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव सम्पन्न होते ही पश्चिम एशिया में अमेरिकी साम्राज्यवादियों की शह पर इजरायली शासक युद्धोन्मादी हो गये हैं। दरअसल इजरायल के शासक पूरे पश्चिम एशिया में तनाव और युद्ध की स्थिति बनाये रखकर ही अपने देश के भीतर बढ़ते असंतोष पर काबू पा सकते हैं। हाल के वर्षों में इजरायल के भीतर बढ़ती महंगाई व घटती तनख्वाहों को लेकर कई बड़े प्रदर्शन आयोजित हो चुके हैं। ऐसे ही इजरायल में बेघरों की बढ़ती तादाद ने भी राष्ट्रव्यापी असंतोष का रूप धारण किया है। इजरायल में दक्षिणपंथी शासकों के युद्धोन्माद का विरोध भी बढ़ता जा रहा है। आम जनता में भारी संख्या में ऐसे लोग मौजूद हैं जो फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने व शांति बनाये रखने के पक्षधर हैं। वे अमेरिका व इजरायल के घृणित षड्यंत्रों के खिलाफ हैं परन्तु इजरायल के शासक ऐसे लोगों की आवाज को देशद्रोह के नाम पर दबा देना चाहते हैं। इज़रायल में जनवरी माह में संसदीय चुनाव भी होने वाले है दक्षिणपंथी पार्टियां इज़रायल के भीतर अंधराष्ट्रवादी उन्माद पैदा करके जीत हासिल करना चाहती हैं और ऐसा वे काफ़ी पहले से ही करते आ रहे हैं। क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन इज़रायली शासकों की इस घृणित कार्यवाही की तीखी भर्त्सना करता है और दुनिया के सभी अमनपसन्द व जनवादपक्षधर नागरिकों से इस हमले का प्रतिरोध करने की अपील करता है।