आपदा, आपदा पीड़ित व संघी सरकार
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साल 2013 में उत्तराखंड में 16-17जून को भारी तबाही आई थी। उस वक्त विजय बहुगुणा की अगुवाई में कोंग्रेस की सरकार थी। तब गुजरात के मुख्य मंत्री जो कि अब भारत के प्रधानमंत्री है यंहा उड़न खटोले से चक्कर लगा रहे थे वे बड़े बड़े दावे कर रहे थे "शिकार' को फंसाने के लिए वायदे भी कर रहे थे।
साल 2017 तक आते आते अब जबकि उत्तराखंड में बिग बहुमत वाली संघी सरकार सत्ता में है संघी छत्र छाया में पला बढ़ा "सुसंस्कृत -सभ्य-संवेदनशील" शख्स मुख्य मंत्री है। तब राजधानी से मात्र 150 किमी की दूर कोटद्वार में भारी बारिश हुई बादल फटे और नाले (रौखड़) में आई बाढ़ से जो तबाही हुई उससे निपटने के तौर तरीकों ने संघी सरकार की "संवेदनशीलता" "सुसंस्कृति" की पोल खोल दी । इस क्षेत्र के वर्तमान विधायक जो कि 2013 में कॉंग्रेस मंत्री के बतौर 'आपदा टूरिज़्म' मना रहे थे अब "शुद्धिकृत" होकर संघी सरकार के मंत्री के रूप में अपनी 'दबंग' स्टाइल में आपदा पीड़ितों को राहत देकर आहत कर रहे थे।
यही वजह है कि कोटद्वार में 4-5 अगस्त को जो तबाही हुई थी तब से अब तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं। मुख्य सड़को व 4-5 क्षेत्रों में लोगों के गलियों, दुकानों में गाद अभी भी है। सीवेज लीकेज के चलते मोहलले में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। लोगों के घरों में रखा हज़ारो का सामान बर्बाद हो गया । खाने पीने का सामान भी खराब हुआ है। बिमारियों के होने व फैलने की काफी संभावना है। कुलमिलाकर लगभग 100-120 परिवार को ज्यादा नुकसान हुआ है और इनमें से तकरीबन 50 परिवार गुरुद्वारा राहत कैम्प में है। इसके अलावा लगभग 100 से ज्यादा परिवार एसे हैं जिन्हें कम नुकसान हुआ है। लगभग 6 लोगों के मरने की खबर हैं लेकिन मुआवजा केवल 2 परिवारों को 4-4 लाख का मिला। कुछ लोगों के मिसिंग होने की भी खबर है । 2 लोगों का शव अभी फिर मलवे में बरामद हुए हैं।
वैसे भी शासकों के लिए आपदा या तो "मानव जनित" होती या फिर "प्राकृतिक या दैवीय आपदा" । इन शब्दावलियों का जाल बुनकर ये अपने कुकर्मों को ढक लेते है। यह नही बताते कि उनके अनियोजित व अनियंत्रित विकास के मॉडल के चलते एक छोटी सी प्राकृतिक घटना मेहनतकश व गरीब लोगो के लिए बड़ी 'आपदा' में बदल जाती है। जिसमें सैकड़ो घर तबाह बर्बाद हो जाते हैं।
संघी सरकार को "दैवीय" शब्द से बहुत प्यार है। तब संघी सरकार व उसके "सुसंस्कृत -सभ्य-संवेदनशील" मुख्य मंत्री ने ऐसे मौके पर क्या किया ? आपदा पीड़ितों से मिलने व सभी क्षेत्रों में जाने की जगह एक जगह गए और 3800 रुपये का चेक पकड़ाकर फ़ोटो खिंचवाकर चलते बने। 185 परिवारों को चेक देने की बात की जा रही है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। एक जगह 12-15 परिवारों को 3800 रुपये चेक देने की बात लोगों ने बताई। साथ ही संयुक्त परिवार को चेक दिया गया।
हज़ारो व लाख रुपये के नुकसान झेल रहे कुछ लोगों ने चेक गुस्से में वापस भी लौटाए। आपदा पीड़ित सवाल उठा रहे हैं कि हम इस चेक को भुनाने जाए या फिर अपने घरों की सफाई करें और उन्हें रहने लायक बनाएं। लेकिन जवाब कौन दे ? संघीयों को व उसकी सरकार को वैसे भी सवाल करने व तर्क करने वालों से घोर नफरत जो है। इसका असर नीचे तक है।
इनके चमचों व दलाल छुटभैयों का हाल भी कम घृणा भरा नहीं है। आपदा पीड़ितों के दर्द को साझा करने उन्हें राहत देने की जगह ये थप्पड़ जड़ देते हैं या गिरहबान पकड़ लेते हैं। दो जगह ऐसे मामले हुए जिसमें आपदा पीड़ित ने सरकार के रुख पर शंका की व सवाल खड़े किए तो एक महाशय ने आपदा पीड़ित को सबके सामने थप्पड़ मार दिया तो दूसरे ने 'दबंग' जनप्रतिनिधि के सामने ही चमचागिरी दिखाते हुए एक आपदा पीड़ित का गिरहबान पकड़ लिया।
यही नहीं यह भी बातें सामने आ रही हैं कि बाजार के केंद्र में स्थित रिफ्यूजी कॉलोनी पर इनकी गिद्ध नज़र लगी हुई है यह आपदा में सबसे ज्यादा बर्बाद है। यंहा लगभग 50 परिवार रहते है अब ये राहत शिविरों में है। ये आज़ादी के वक्त में सरकार द्वारा विस्थापन के चलते यंहा बसाए गए थे। अब सुरक्षा के नाम पर इन्हें इस जगह को छोड़ने के लिए "प्रेरित" किया जा रहा है 5000 रुपये मासिक किराए के रूप में दिए जाने के वायदे हो रहे है। जब लोगों ने इससे इंकार कर दिया तो उनसे राहत कैम्प से चले जाने के लिए के कह दिया। अब ये अपने समुदाय के गुरुद्वारा में रह रहे हैं।
इन्ही स्थितियों में एक क्षेत्र काशीरामपुर मल्ला के लोगों ने क्रालोस की अगुवाई में तहसील में प्रदर्शन किया एक ज्ञापन मुख्य मंत्री के लिए प्रेषित किया गया जबकि दूसरा ज्ञापन एस डी एम को दिया गया। जिसका असर भी देखने को मिला तुरंत ही शाम तक जे सी बी पहुंच गई व फिर धीरे धीरे सफाई व ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव भी हुआ। इसी के साथ अब अन्य लोगों ने भी प्रदर्शन किए है। दबाव में वे किरकिरी होने पर सरकार के एक दो मंत्रियों के भी चक्कर यंहा लगे है। जिसमें उन्होंने 3800 रुपये के चेक पर सफाई देते हुए कहा है कि यह तो प्राथमिक तौर पर राहत दी गई थी बाद में फिर राहत राशि दी जाएगी। लेकिन कुल मिलाकर संघी सरकार को आपदा ने आपदा पीड़ित ही नहीं अन्य लोगों के बीच भी नंगा कर दिया।