माओवादी लिंक व पी एम की हत्या की
धमकी की फर्जी खबर के नाम पर गिरफ्तारियां
धमकी की फर्जी खबर के नाम पर गिरफ्तारियां
देश में पिछले कुछ माह पहले गुजरात की तर्ज पर मुख्य मीडिया पर खबर उछाली गई कि भीमाकोरेगांव आन्दोलन की अगुवाई करने वालों कुछ लोगों के लिंक माओवादियों से है और एक फर्जी पत्र के जरिये दावा किया गया कि माओवादी प्रधानमंती की हत्या की योजना बना रहे हैं। देश के अधिकांश लोगों ने इस पर भरोसा नहीं किया। कोई भी यह विश्वास नहीं कर सकता कि एक लिखित पत्र द्वारा इस ढंग की योजना को अंजाम दिए जाने वाले खबर सही है। शासकों में जो माओवादियों के तौर तरीकों से भिज्ञ था वो भी एक पत्र के आधार पर इस उड़ाई गई खबर पर भरोसा करने को तैयार नहीं था। सभी के लिए मोदी की गुजरात स्टाइल चिरपरिचित थी वह यह कि मोदी की लोकप्रियता के गिरते ग्राफ़ और मोदी की हत्या किए जाने की खबर साथ साथ चढ़ते थे। और फिर फर्जी एनकाउंटर का सिलसिला चल पड़ता था।
यही आज देश के स्तर पर है। अच्छे दिनों के ख्वाब का नारा आम अवाम के लिए बुरे और दुखदायी दिनों में बदल चुका है। कथित गौरक्षको के दस्ते के हमले में कई मुस्लिमों व दलितों पर हमले हो चके हैं विरोध करने वाले जेलों में ठूंसे जा रहे है । इन स्थितियों में मोदी का ग्राफ लगातर गिरता जा रहा है। यह मोदी को सत्ता पर बिठाने वाले कॉरपोरेट घरानों के लिए चिंता का विषय है और खुद संघ से लेकर भाजपा के लिए। क्योंकि मोदी को महानायक के रूप में प्रोजेक्ट कर ही वो भी सत्ता पर पहुंचे है।
ऐसी स्थिति में जरूरी था कि इस ढंग की खबर उछली जाय कि उसकी आड़ में में कई निशाने सध जाएं।एक तरफ फासिस्टों का विरोध करने वाले जनपक्षधर लोगो को लपेटा जा सके, मोदी के गिरते ग्राफ को थाम कर मोदी पक्ष में सहानुभूति का माहौल खड़ा किया जाय साथ ही देश की जनता के हर हिस्से से वोट हासिल किए जा सकें और भीमा कोरेगांव के दलित आंदोलन को देशव्यापी होने से रोक दिया जाय। इसी मकसद से फिर 8 जनपक्षधर लोगों की गिरफ्तारी की गई। लेकिन शासक भूल जाते हैं कि उनकी अपनी ये सभी करतूतें जनता को उनके खिलाफ खड़ा करती है और जनता को उस दिशा में धकेलती हैं जहां शासकों का वज़ूद मिटाया जा सके।