मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगा
जैसा कि तय था 2014 के लोक सभा के चुनाव को ध्यान में
रखते हुए सभी पूंजीवादी राजनीतिक पार्टिया केंद्र की सत्ता अपने नेतृत्व में सरकार
बनाने की जी तोड़ कवायद में पिछले समय की ही तरह हर घृणित हथकंडे अजमाएँगी ।
इस जी तोड़ कवायद में समाज में हिन्दू- मुस्लिम वोटो को ध्यान में रखते हुए
सांप्रदायिक ध्रूविकरण एक हथियार है जिसे आर . एस. एस. के नेतृत्व में भारतीय जनता
पार्टी सबसे आगे है।90 के दशक में राम मंदिर निर्माण के नाम पर पूरे ही देश को
दंगो की आग मे झोंक देने वाली भा ज पा, राष्ट्रीय सेवक संघ व इसके अन्य आनुषंगिक संगठनो ने इस सांप्रदायिक ध्रूविकरण को एक मुकाम तक
पहुचाया। लेकिन इसके बाद भी केंद्र में केवल
अपने दम पर सरकार बनाने का ख्वाब अधूरा रहा । इसके बाद फिर नई रणनीति के तहत संघ
ने सांप्रदायिक ध्रूविकरण को स्थानीय व क्षेत्रीय मुद्दे के तहत दलितो व
आदिवासियों में भी घुसपैठ की गई ‘’ धर्मांतरण ‘’ लव जेहाद ‘’ आदि आदि जैसे फर्जी मामले खड़े
किए गए चैरिटी काम करके भी इस मकसद को
साधा गया सांप्रदायिककरण किया गया ।और फिर
गुजरात के स्तर पर 2002 का फासीज़्म का प्रयोग भी सफल रहा ।
इसलिए ऐसा यूं ही नही हुआ कि अलग –अलग
शहरो के स्तर या कस्बों के स्तर पर दंगो की तादाद बढ़ गई उत्तर प्रदेश में ही इससे
पहले लगभग 17 महीने में ही सांप्रदायिक हिंसा व तनाव की 100 से अधिक घटनाएँ हो
चुकी हैं । और अब संघ खुलकर सामने आ गया है फासिस्ट नरेन्द्रमोदी की केंद्र के लिए ताजपोशी , 84 कोसी यात्रा और फिर राम मंदिर की बातें आदि इसके कारनामों से पैदा होने वाले सांप्रदायिक उन्माद की ओर साफ साफ इशारा कर रही हैं।
किश्तवाड़ की आग अभी बुझी भी नही
थी कि अब मुजफ्फरनगर में दंगे हो गए ।और
यहा अब तक सरकारी आकड़ों के मुताबिक ही तीन
दर्जन से लोग मारे गए है कई गायब है व
घायल हैं। हकीकत हमेशा की ही तरह इससे कई गुनी ज्यादा हो सकती है ।यहाँ अगस्त के
तीसरे हफ्ते में एक लड़की से हुई छेड़छाड़ अगर इतना बड़ा रूप धारण कर लेती है , महापंचायतें होती है जाट समुदाय के लोगो द्वारा जिसमे लोग
हथियारो के साथ पहुचते हैऔर यह सब सपा सरकार व उसके शासन प्रशासन के आखो के सामने
घटित होता है। इन महापंचायतों में भाजपा के तीन चार नेता पहुचते है भारतीय किसान
यूनियन के नेता व कांग्रेस के पूर्व संसद
हरेन्द्र मालिक भी पहुचते हैं।इनके खिलाफ एफ आई आर के बावजूद कोई कार्यवाही नही की
जाती। सपा सरकार इसे हो जाने देती है।तो यह सब ऐसे ही नही हो जाता है। और फिर मामला हाथ से निकलता दिखाकर भारी तादाद
में अर्ध सैनिक बल बुला ली जाती है। कर्फ़्यू लगाया जाता है केंद्र की कांग्रेस सरकार व उसका गृह
मंत्रालय भी अपने को बेहद चिंतित दिखाकर
तुरंत ही सक्रिय हो जाता है।अल्पसंख्यको को भयाक्रांत कर फिर उनके रक्षक बन एक ओर
कांग्रेस व सपा उनके वोटो को हासिल करने का समीकरण बना रही है तो दूसरी ओर इन
प्रतिक्रियावादी व सांप्रदायिक महापंचायतों को हो जाने का अवसर दे कर “ नरम हिन्दुत्व “ का परिचय देकर यहा से भी वोट हासिल
करने की जुगत में है। भाजपा तो घोषित तौर पर ही सांप्रदायिक पार्टी है।लेकिन यह
पार्टिया भी कम नहीं है । कांग्रेस द्वारा 1984 में सीक्खो का कत्लेआम किया गया था।
राजीव गांधी का यह कुख्यात बयान कि’ जब पेड़ गिरता है तो धरती कापती है ‘ आज भी शायद ही
कोई भूला होगा । बस फर्क इतना ही है कि धर्मनिरपेक्ष या सेक्युलर शब्द की लफ्फाजी
करते हुए ये यह सब करती हैं और संघ की तरह
इनका ताना बाना नही है ।
हकीकत यही है कि भारतीय शासक वर्ग
सांप्रदायिक व कट्टरपंथी ताकतों को शुरू से प्रश्रय देते रही हैं। और भारतीय राज्य
सवर्ण हिन्दु मानसिकता से ग्रसित है। इसी का परिणाम यह है की एक ओर यह अपनी जहनीयत
में महिला विरोधी , दलित विरोधी तो दूसरी ओर अल्पसंख्यक
विरोधी है विशेष तौर पर सारे ही मामलो में
मजदूर- मेहनतकश अवाम के लोग। भारतीय शासक फिर इसे वक्त बेवक्त अपनी जरूरत के हिसाब
से इस्तेमाल करते रहते हैं । इसीलिए यह अनायास नहीं है कि कि टाटा ,अंबानी आदि आदि जैसे पूंजीपति फासिस्ट मोदी की तारीफ में कसीदे गड़ते हैं ।
इस प्रकार सांप्रदायिक उन्माद दंगा पैदा करके शासको द्वारा ना केवल सामुदायिक
सौहार्द को खत्म कर दिया जाता है व सत्ता पर
पैठ बनाई जाती है बल्कि मजदूर मेहनतकश आवाम की एकता को खंडित कर दिया जाता है व उनके
वर्तमान व भावी संघर्षो को कमजोर करने की दिशा में कदम भी बढ़ाया जाता है ।
और यह मजदूर
मेहनतकश अवाम ही है जो कि सांप्रदायिक
दंगो के शिकार होते है व इसमें तबाह -बर्बाद होते हैं ।
क्रांतिकारी लोक
अधिकार संगठन मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे में मारे गए लोगो के प्रति अपनी संवेदना
व शोक व्यक्त करता है। इस घटना में शामिल लोग जिनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज है उन्हे तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करता है । सांप्रदायिक व
कट्टरपंथी संगठनो पर प्रतिबंध लगाने की माँग करता है।
समस्त
मजदूर मेहनतकश अवाम से अपील करता है कि आइये!
इन सभी सांप्रदायिक व कट्टरपंथी
ताकतों व इन्हे प्रश्रय देने वाली
ताकत के विरोध में संघर्ष एकजुट हो
संघर्ष करें ।
क्रांतिकारी
लोक अधिकार संगठन