Tuesday, 10 September 2013

position over national and international issue

         सीरिया पर अमेरिकी साम्राज्यवादी के संभावित हमले का विरोध करो !
       
         सीरिया में हर प्रकार की साम्राज्यवादी दखलंदाजी का विरोध करो !!  
                               
               
                ``जनतंत्र’’ की स्थापना के नाम पर अमेरीकी साम्राज्यवादियों  द्वारा अन्य पूंजीवादी मुल्को की संप्रभुता पर हमले की दास्ता काफी लंबी है । अपने हितो के प्रतिकूल पड़ती सरकारो के तख्तापलट की इनकी काली करतूते लातिनी अमेरिकी मुल्कों से समझी जा सकती है । रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल व जनवाद की स्थापना के नाम अमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा इराक पर हमला बोल दिया गया और उससे पहले आतंकवादके खातमे के नाम पर अफगानिस्तान पर  हमला बोल दिया गया था। इराक पर हुआ हमला खुद साम्राज्यवादी मुल्कों  द्वारा खड़ी की गई संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ को अमेरिकी शासको द्वारा ठेंगे पर रखते हुए किया गया था बाकी साम्राज्यवादी मुल्क कैसे इस लूट मे अपने हिस्सेदारी हो इसकी रणनीति बना रहे थे   इराक मे हुए हमले के बाद से अब तक इराक मे अब तक कई लाख इराक़ी मेहनतकश नागरिक जिसमे मासूम बच्चे भी शामिल हैं  मारे गए है । दुनिया के सामने यह तभी स्पष्ट था कि दरअसल अमेरिकी (साम्राज्यवादी) पूंजीपति वर्ग अपने अर्थव्यवस्था के बढ़ते संकट को हल करने के लिए व  क्रूड ऑइल ( कच्चे तेल ) को नियंत्रित करने के लिए यह सब ताना बाना रच रहा है । जबकि अफगानिस्तान पर अमेरिकी शासको की दीर्घकालिक रणनीति ( सामरिक महत्व ) के तहत  था । और यह भी तभी स्पष्ट हो गया था कि आने वाले वक्त मे सीरिया, ईरान , लीबिया व  उत्तरी कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवादियों की निगाह में है।
                टूनीशिया से बगावत के जो लहर शुरू हुई थी वह मिश्र आदि आदि मुल्क होते हुए सीरिया भी जा पहुची थी । मजदूर वर्ग समेत आम मेहनतकश आवाम बढ़ती बेरोजगारी , महंगाई से त्रस्त हो आक्रोशित  व आंदोलित होकर अपनी तानाशाही हुकूमतों से टकरायी । इन जनसंघर्षों को साम्राज्यवादी मुल्को विशेषकर अमेरिकी साम्रज्यवादियों ने अपने हितो के अनुरूप नियंत्रित करने को पूरा व्यूह रचा । मध्य पूर्व के इन पूंजीवादी मुल्को के ही पूंजीपतिवर्ग के दूसरे धडों  ने इन जनसंघर्षों  पर  अपना नेतृत्व बनाया अमेरिकी साम्राज्यवादियों का उन्हे पूरा सहयोग मिला । मिश्र के मामले मे इसे साफ साफ देखा जा सकता है ।
                सीरिया जैसे पूंजीवादी मुल्क में बसर  अल असद की सरकार के खिलाफ जो आक्रोश मेहनत कश जनसमुदाय में पैदा हुआ उसे भी धुर्त्त अमेरिकी शासको ने अपने नियंत्रण में करने का भरपूर अवसर के रूप में बदलने की कोशिश की । यहा भी  सीरियाई शासकों का  दूसरा धड़ा जो कि पिछले कई दशकों से सत्ता में बैठने को लालायित था उसने ही मेहनतकश आवाम के संघर्षो के नेतृत्व को हथिया लिया और दूसरी ओर इन्हे अमेरिकी शासकों ने हथियार से लेकर हर तरह से बसर अल असद की सत्ता को उलट देने में इनकी भरपूर मदद की । सीरिया के मामले मे विशेष स्थिति यह बनती थी कि अमेरिकी साम्रज्यावादियों से इसके संबंध पहले से ही खटास भरे रहे हैं यहा रूसी साम्राज्यवादियों का प्रभाव है उसका नौसैनिक अड्डा भी यहाँ है ।यह एक ओर  अमेरिका – इजरायल गठजोड़ का विरोध करता रहा है  तो दूसरी ओर फिलीस्तीन का समर्थन करता रहा है ।  इसीलिए अमेरिकी साम्राज्यवादी इस अपने द्वारा समर्थित विद्रोहको अवसर के रूप मे देख रहे थे  ताकि वहाँ अपना प्रभाव कायम कर सके व अपने संकट का बोझ दूसरे मुल्को  पर डाल सके तेल गैस व पेट्रो डालर पर नियंत्रण ही असल मकसद था  , हालांकि  यहाँ हमला  करना इनके लिए  इतना आसान भी नही है । अन्य साम्राज्यवादी मुल्क भी लूट मे हिस्सदारी के हिसाब से अपनी अपनी  रणनीति बना रहे हैं । भारतीय पूंजीवादी शासको की अवस्थिति की बात की जाय तो यह भी अपने हितो को साधने के लिए घृणित हथकंडे अपना रहा है । इस मुद्दे पर फिलहाल रूसी साम्राज्यवादियों के साथ खड़ा है ।
                अमेरिकी शासक जब इस  समर्थित विद्रोह से वहा हस्तक्षेप कर उसे अपने प्रभाव में लेने में सफल नही हो पाये तो अब वह इस मकसद के लिए  इस तथाकथित रासायनिक हमले द्वारा जनसहार के नाम पर सीरिया की संप्रभुता को रौदने की दिशा मे बढ़ रहा है।जिसका विरोध न केवल दुनिया की अमनपसंद व जनवादपसंद मेहनतकश जनता कर रही है बल्कि खुद साम्राज्यवादी मुल्क अमेरिका की  मेहनतकश अवाम भी इस हमले का विरोध कर रही है।
                सीरिया जैसे पूंजीवादी मुल्क में बसर अल असद के नेतृत्व मे सीरियाई पूंजीपति वर्ग की नग्न तानाशाही शासन मेहनतकश जनता के ऊपर कायम है पूंजीवादी जनवाद में जो सीमित अधिकार मेहनतकश को हासिल होते हैं वह यहा की अवाम को हासिल नही हैं। इसलिए भयावह बेरोजगारी व महंगाई को लेकर यहाँ मेहनतकश अवाम ने आक्रोशित हो जो संघर्ष शुरू किया था और बसर अल असद सरकार साम्राज्यवाद समर्थित विद्रोहियो से निपटने के नाम पर आम जनता का जो दमन कर रही है उससे निपटने के लिए जरूरी है की  उस संघर्ष पर अपना नेतृत्व कायम  किया जाय ।साथ ही  साम्राज्यवादी मुल्को की मुल्क के भीतर  हर दखलंदाज़ी का विरोध करने की जरूरत है अपने जनवादी अधिकारो को हासिल करने की दिशा में संघर्ष करने की सख्त जरूरत है और अंतत:  इस संघर्ष को नई ऊचाइयों तक पहुचाते हुए मजदूर वर्ग के नेतृत्व में सामाजवाद का निर्माण करने की जरूरत है। जबकि दूसरी ओर दुनिया की जनवादपसंद अवाम को सीरियाई मेहनतकश अवाम के साथ एकजुटता कायम करते हुए अमेरिकी साम्राज्यवादी मुल्क द्वारा होने वाले हमले का पुरजोर विरोध करने के साथ साथ यहा हो रहे  हर साम्राज्यवादी दखलंदाजी का विरोध करने की जरूरत है।           
               




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