कार्यक्रम : सेमीनार
साथियो ,
आगामी 29 सितम्बर (रविवार) 2013 को ‘उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच’ के द्वारा एक सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। जैसा
कि सभी जानते हैं कि 16-17 जून को उत्तराखण्ड भीषण आपदा से
गुजरा। इस आपदा में हजारों पर्यटक व स्थानीय लोग मारे गए । मंच द्वारा रूद्रप्रयाग
के प्रभावित क्षेत्रों में कई दिनों तक व उत्तरकाशी के प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैम्प लगाए गए ।
इस दौरान आपदा से हुई तबाही, सरकार की घोर असंवेदनशीलता-लापरवाही तथा सरकार के प्रति
आम ग्रामीण गरीबों के आक्रोश से भी मंच रूबरू हुआ। इस आपदा व इससे हुई तबाही तथा इससे निपटने
के मामले में सरकार के रुख ने हमारे समक्ष
कई सवाल खडे़ किए हैं मसलन...
1 . उत्तराखण्ड में विकास के नाम पर
जिस प्रकार से अंधाधुंध ढंग से व अवैज्ञानिक तरीके से बांधों, सड़कों, सुरंगों व होटल, रिजोर्ट आदि का निर्माण हो रहा है, क्या वह इस आपदा के लिए जिम्मेदार नहीं है ? और विकास का इस माडल से दरअसल किन लोगों का हित साधा
जा रहा है ? और जो स्पष्ट तौर पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार
के द्वारा बनाई गई नीतियों के तहत अंजाम दिया जा रहा है। क्या यह सरकारें इस आपदा
को पैदा करने के दोषी नहीं है ?
2 . आपदा के तत्काल बाद आपदा से निपटने के लिए
सरकारों द्वारा जिस घोर लापरवाही और हद दर्जे की असंवेदनशीलता का प्रदर्शन किया गया,
उससे आम जनता के लिए क्या सबक
हैं ? तथा इसके बाद तब से अब तक जो राहत सामाग्री व
चिकित्सकीय सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी व जवाबदेही सरकार की
बनती थी उस मामले में भी यदि भयानक लापरवाही व असंवेदनशीलता बरती गई है तो क्यों? जबकि संसाधन सम्पन्न लोगों के प्रति सरकार बेहद चिंतित
है। ऐसा क्यों ?
उपरोक्त व अन्य सवालों के संदर्भ में एक स्पष्ट समझ बनाने और समाधान का रास्ता तलाशने हेतु इस
सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आपकी भागेदारी अपेक्षित है।
कार्यक्रम : : द्वारा
विषय:- ‘उत्तराखण्ड आपदा से उपजे सवाल व उनका समाधान’ ‘उत्तराखण्ड आपदा राहत मंच’
दिनांक :- 29 सितम्बर (रविवार) 2013, समय :- 10:00 प्रातः से शाम 5 बजे तक।
स्थान :- कालूमल धर्मशाला, राजा रोड़, प्रिंस चैक (निकट
रेलवे स्टेशन), देहरादून।
संपर्क न . 8126975771 , 9837205978