हत्यारा गुजरात मॉडल
वक़्त खुद को दोहरा रहा है। इसने मोदी सरकार को मौके दिए। मगर कोई सबक,
मोदी और मोदी सरकार ने नहीं लिया। न अस्पतालों की व्यवस्था हुई, न
टेस्टिंग-ट्रेसिंग-ट्रीटिंग की नीति को शिद्दत से लागू किया, ना ही
वैक्सीनेशन को और ऑक्सीजन की व्यवस्था को गंभीरता से लिया गया। दहशत और
आतंक का माहौल फिर से बनाया जा रहा है।
सब कुछ राज्यों सरकारों के मत्थे डालकर मोदी-शाह की सरकार ने कोरोना
संक्रमण से अपना पिंड छुड़ा लिया , कोरोना संक्रमण से बचाव की जिम्मेदारी अब
राज्य सरकारों की है जबकि जी एस टी के रूप में आय केंद्र सरकार को बटोरना
है, सारे संसाधन केंद्र सरकार के पास है।
कोरोना संक्रमण के तेज़ प्रसार ने मोदी सरकार को नंगा कर दिया है यही हाल
योगी महाराज का है। अन्य राज्य सरकारों को भी कोरोना संक्रमण ने बेनकाब
किया है। ये अलग बात है कि जनता के पास विकल्प नहीं।
4 लाख तक मामले पहुंच चुके हैं कबकी मौते 3000-4000 के स्तर पर है। ये
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक है। हकीकत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या
और मौतों की संख्या काफी ज्यादा है। अभी बरेली में ही सरकारी आंकड़ों के
हिसाब से मरने वाले 97 थे जबकि शमशान घाटों के आंकड़ों के हिसाब से मरने
वाले 600 थे। आंकड़ों का यह भारी फर्क मध्यप्रदेश से ले कर गुजरात तक हर जगह
देखा गया। गंगा नदी में बहती लाशों, रेत में दबाये गए सैकड़ों शव, अब चर्चा
का विषय हैं।
ज्यादा हंगामा इसीलिए है कि ऑक्सीजन वेन्टीलेटर की भारी कमी से शासक वर्ग
के निचले स्तर के लोग भी मारे गए हैं इन्हें भी ऑक्सीजन, वेन्टीलेटर के लिए
भटकना पड़ा है। मगर बहुसंख्यक आम जनता के लिए स्थिति बेहद विकट है। गांवों
की स्थिति बदहाल है। उत्तर प्रदेश के देहातों से मौतों के आंकड़े काफी
ज्यादा है। यहां क्योकि इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ जगहों पर तो
प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ही बंद पड़े हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में सर गंगाराम जैसे अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव
में 25 लोग मर जाते हैं। तो फिर स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लग सकता है।
ऐसी खबरें अब आम हो गयी है।
मौतों का यह आंकड़ा, अस्पतालों की
दुर्गति, डॉक्टर नर्सों की भारी कमी, ऑक्सीजन-वेन्टीलेटर और दवाओं की भारी
कमी आम लोगों को डरा रही हैं इसने भारी अफ़रातफ़री और दहशत का माहौल पैदा हो
रहा है। ये मौतें कोरोना संक्रमण से उतनी नहीं है बल्कि इलाज के अभाव में
हो रही हैं यदि उचित समय पर उचित इलाज मिलता तो अधिकांश लोग बच जाते।
इसीलिए ये परोक्ष हत्याएं हैं जिसके लिए मुख्यतः मोदी-शाह और मोदी सरकार
जिम्म्मेदार है और देश के कॉरपोरेट शासक जिम्मेदार हैं। ये शासक वर्ग
द्वारा निर्मित त्रासदी है। इसमें शिव सेना, टी एम सी, आम आदमी पार्टी,
कांग्रेस से लेकर सभी चुनावबाज पूंजीवादी पार्टियों की भूमिका भी कम नहीं
है।
सार्वजनिक इलाज की व्यवस्था बेहद कमजोर पहले ही थी मगर मोदी सरकार ने तो
इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया है। सब कुछ प्राइवेट के भरोसे है और खोखली
आयुष्मान योजना के। आयुष्मान के तहत 6400 करोड़ मात्र का बजट सवा अरब से
ज्यादा की आबादी के लिए रखा गया। जबकि प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति और
उपराष्ट्रपति के लिए 2 बोइंग विमान के लिए ही 8458 करोड़ रुपये खर्च कर दिये
गए।
यही स्थिति वैक्सीनेशन के मामले में है। पहले तो मोदी सरकार
ने महिमामंडन में वैक्सीन का निर्यात विदेशों को किया ताकि आर्थिक राजनीतिक
समीकरण बनाये जा सकें। स्थिति अब यह बन गयी है कि वैक्सीन के भयानक अभाव
के चलते आयात को आपात मंजूरी देनी पड़ी है।
एक संदर्भ में देखा जाय तो इस मौके का भरपूर इस्तेमाल मोदी सरकार ने
वैक्सीन कंपनियों के लिए भी कर दिया है। वैक्सीन की कीमत 400 से लेकर 1200
तक तय कर दी गयी है।
मगर बेशर्म शासकों को शर्म नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी इसके बावजूद 'ऑक्सीजन से किसी को नहीं मरने देने' की बात
करते हैं, 'मन की बात' फरमाते हैं। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए जो बैठक की
जाती है उसमें भी अपने कॉरपोरेट मित्रों को बिठाया जाता है। ताकि इस
निर्मित त्रासदी का 'आपदा में अवसर ' के रूप में इस्तेमाल आगे बढ़ सके।
एक ओर लफ्फाजी है तो दूसरी तरफ अलग-अलग स्तर पर राज्यों में 'कोरोना
कर्फ्यू', 'धारा 144', 'आपदा प्रबंधन कानून' के रूप में पुलिसिया दमन
कोरोना संक्रमण से बचाव का इलाज है। तरह तरह के निर्देश जारी करके माहैल
में भयानक अनिश्चितता और असुरक्षा पैदा कर दी गयी है। यही नहीं, कोरोना
संकमण के त्वरित प्रसार का ठिकरा आम जनता पर ही फोड़ा जा रहा है।
राज्य स्तर पर हो रहे सीमित लॉकडाउन या कोरोना कर्फ्यू ने मजदूरों, छोटे
मझौले कारोबारियों के सामने संकट को गहन बना दिया है। एक बार फिर से
मजदूरों का सैलाब सड़कों पर है जो वापस घरों की ओर निकल पड़े हैं। इस प्रकार
से भयावह बेरोजगारी का संकट सामने है।
इस विकट स्थिति में आम लोग सोशल नेटवर्किंग साइट पर हालात को बयां कर रहे
हैं अपने साथ घटती घटनाओं को साझा कर रहे हैं। मगर हिन्दू फासीवादी सरकार
'अफवाह' के नाम पर इस ' आवाज' को बंद कर देना चाहती है। उत्तर प्रदेश की
योगी सरकार ने, इस प्रकार के 'अफवाह' फैलाने वाले लोगों के खिलाफ 'रासुका'
के तहत मुकदमा दर्ज करने का एलान कर दिया है।
कुलमिलाकर आज के मोदी-शाह की हिदुत्ववादी सरकार ने जो आर्थिक-राजनीतिक
हमला, जनता पर बोला है उसी की परिणति है कि कोरोना संक्रमण का दौर आम जनता
के लिए त्रासदी बन चुका है।