Thursday, 6 July 2023

क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन का आठवां सम्मेल



               क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन का आठवां सम्मेलन
        

           क्रालोस का आठवां सम्मेलन 24- 25 जून 2023 को उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में आएशा पैलेस में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

        सम्मेलन की शुरुआत 24 जून को प्रातः 8 बजे झंडारोहण के साथ शुरू हुई। संगठन के अध्यक्ष पी पी आर्या ने झंडारोहण किया। झंडारोहण की कार्यवाही के बाद प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच ने ( मेरा रंग दे बसंती चोला ) गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद अलग अलग संघर्षों में दुनिया और देश के भीतर शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और 2 मिनट का मौन रखा गया।

        अध्यक्षीय संबोधन में पी.पी.आर्या ने कहा कि संगठन अपने पच्चीस साल की यात्रा में तमाम उतार चढ़ावों से गुजरते हुए आगे बड़ा है। संगठन जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों तथा जनवादी , संवैधानिक अधिकारों के लिए क्षमताभार संघर्ष करता रहा है। संगठन ने मेहनतकश जनता और शोषित उत्पीड़ित समूहों के न्याय प्रिय आंदोलनों का समर्थन किया हैं तो कई मौकों पर आंदोलनों को नेतृत्व देने का प्रयास किया है।

         इसके बाद अध्यक्ष ने सम्मेलन के संचालन के लिए एक तीन सदस्यीय संचालक मंडल का नाम प्रस्तावित किया जिसे सदन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने अनुमोदित किया। इसके बाद सम्मेलन के बंद सत्र की शुरुआत हुई। 

          सम्मेलन में राजनीतिक रिपोर्ट तथा सांगठनिक रिपोर्ट पर चर्चा की गयी। राजनीतिक रिपोर्ट के अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति वाले हिस्से पर बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि 2007 से शुरू हुआ विश्व अर्थव्यवस्था का संकट कोरोना महामारी के बाद और भी घनीभूत हुआ है।  इस संकट ने दुनिया में राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक संकट को घनीभूत किया है। दक्षिणपंथी, फासीवादी राजनीति का उभार बढ़ा है। कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ी है। इस चौतरफा संकट ने समाज में एकाकीपन, भरोसे की कमी, आत्मकेंद्रीयता को बढ़ाया है।
           वक्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि चीन के एक नई साम्राज्यवादी ताकत के रूप में सामने आने और रूस के फिर से उभार ने साम्राज्यवादियों के बीच टकराहट को बढ़ाया है। जिससे एक और रूस यूक्रेन युद्ध में रूसी साम्राज्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी साम्राज्यवादी शासकों की सनक का शिकार जनता को होना पड़ रहा है। दुनिया में शरणार्थी और प्रवासी संकट भी गहरा गया है। दुनिया में बढ़ते फासीवादी उभार ने मजदूर मेहनतकश जनता सहित शोषित उत्पीड़ित समूहों पर हमलों को तीखा किया है। जनवादी अधिकारों पर भी हमले तेज हुए हैं। 

            इस उत्पीड़न , शोषण के खिलाफ पैदा हो रहे संघर्षों के दौरान जनता एक बेहतर समाज की ओर भी आगे बढ़ेगी ऐसी आशा सम्मेलन ने जाहिर की।
           इसी तरह राष्ट्रीय परिस्थिति वाले हिस्से पर चर्चा करते हुए कहा गया कि विश्व परिस्थियों से भारत भी अछूता नहीं है। हमारे यहां भी आर्थिक , सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक स्थितियां विकराल स्थिति ग्रहण कर रही हैं। देश में गरीबी , बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, असमानता लगातार बढ़ रही है। मजदूरों मेहनतकशों पर हमले तेज हुए हैं। अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिये पर धकेलने के हिंदू फासीवादी शासकों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। मेहनतकश जनता के संवैधानिक, जनवादी व नागरिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है।  वहीं दूसरी तरफ फासीवादी एजेंडों को आगे बढ़ाने के लिए देश में अराजकता और हिंसा का माहौल पैदा किया जा रहा है। उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश में 'लव जिहाद', 'लैंड जिहाद' आदि फासीवादी एजेन्डे फासीवादियों के मंसूबों को दिखाती है। वही मणिपुर जैसी स्थितियां दिखाती हैं वर्तमान शासक पूरे देश को नफरत की आग में झोंक देना चाहते हैं।
          इस दौरान देश ने नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन, ऐतिहासिक किसान आंदोलन, महिला पहलवानों के आंदोलन और जगह जगह काफी लंबे चल रहे मजदूर आंदोलन इसके अलावा देश भर जारी जनवादी आंदोलन एक उम्मीद की किरण भी दिखाते हैं। इन सब परिस्थितियों पर बात करने के बाद सदन ने राजनीतिक  रिपोर्ट को पास किया।
            सदन में सांगठनिक रिपोर्ट पर भी विस्तार से चर्चा हुई जिसमे पिछले सम्मेलन से अब तक की कार्यवाहियों का ब्यौरा पेश किया गया। तथा संगठन ने अपनी उपलब्धियों एवं कमियों खामियों को चिन्हित करते हुए अगले सम्मेलन तक के लिए अपनी लिए कार्य योजना पेश की।
            अगले दिन सम्मेलन ने विभिन्न सामायिक विषयों पर प्रस्ताव पास किए। ये प्रस्ताव  दलितों अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के विरोध में, समान नागरिक संहिता के संबंध में, चारों श्रम संहिताओं के विरोध में, बढ़ते फासीवादी हमलों के विरोध में, एन पी एस के विरोध में , मणिपुर में जारी हिंसा के संबंध में आदि मामलों पर थे। जिसे सम्मेलन में पास किया।
            इसके बाद चुनाव हुए। अध्यक्ष के रूप में  पी पी आर्या और महासचिव के रूप में भूपाल का चुनाव किया गया। संगठन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने बिरादर संगठनों से आए पर्यवेक्षक साथियों और तकनीकी सहयोग के लिए आए साथियों का धन्यवाद किया जिनकी वजह से सम्मेलन ठीक से आयोजित हो पाया।
             इसके बाद दोपहर दो बजे से खुले सत्र का आरम्भ किया गया। जिसमे शहर से तमाम ट्रेड यूनियन, सामाजिक संगठनों और सहयोगी संगठनों के साथी उपस्थित रहे। सभी साथियों ने संगठन की सम्मेलन के लिए बधाई दी। तथा नई कमेटी व पदाधिकारियों को बधाई दी। सभी ने संगठन से जनवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने की आशा व्यक्त की। खुले सत्र में वक्ताओं ने आज की पतिस्थियों और देश दुनियां में मेहनतकश जनता के हालत, उस पर किए जा रहे हमलों, सरकार की जन विरोधी नीतियों, संघर्षों के दमन , दलितों अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों, जनवादी व संवैधानिक अधिकारों के हनन आदि मसलों पर चिंता जाहिर करते हुए बातें की।
               खुले सत्र को बरेली ट्रेड यूनियंस के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा, बरेली कॉलेज के कर्मचारी नेता जितेंद्र मिश्र, ट्रेड यूनियन नेता महेश गंगवार, पी यू सी एल के साथी एड यशपाल सिंह, मजदूर सहयोग केंद्र के साथी दीपक सांगवाल, इंकलाबी मजदूर केंद्र के साथी रामजी सिंह, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महासचिव साथी महेश, प्रगतिशील महिला एकता केंद की साथी हेमलता, सामाजिक न्याय फ्रंट के साथी सुरेंद्र सोनकर, टेंपो यूनियन के साथी कृष्ण पाल, सामाजिक कार्यकर्ता साथी ताहिर बेग, प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के साथी ओम प्रकाश, ट्रेड यूनियन नेता सलीम अहमद ने संबोधित किया।
              अंत में संगठन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष साथी पी पी आर्या ने वर्तमान परिस्थितियों और संघर्ष की जरूरत पर विस्तार से बात रखी और सभी साथियों का क्रांतिकारी अभिवादन किया। प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के साथियों ने बंद सत्र और खुले सत्र में जोशीले क्रांतिकारी गीतों के माध्यम से सम्मेलन में क्रांतिकारी उत्साह बनाए रखा इसके लिए उन्हें धन्यवाद।
                खुले सत्र के बाद एक सांकेतिक जुलूस निकाला गया। इस बीच में पुलिस प्रशासन ने जुलूस में हस्तक्षेप किया व अकारण ही टकराव पैदा करने की कोशिश की।  जुलूस झंडे , बैनर, तख्तियों पर लिखे नारों से लोगों को आकर्षित कर रहा था।  जुलूस में जोशीले नारे लगाते हुए साथी आगे बढ़ रहे थे।  जुलूस सम्मेलन आएशा पैलेस से शुरू होकर जगत पुर पुलिस चौकी होते हुए बीसलपुर चौराहे तक गया उसके बाद उसी रास्ते वापस आ गया। सम्मेलन स्थल पर साथियों ने उत्साह से गीत गाए। तत्पश्चात सम्मेलन की पूरी कार्यवाही सफलता पूर्वक संपन्न हुई।


           

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