संघी फासीवादियों के बढ़ते जनवाद विरोधी कदमों के विरोध में आगे आओ
संघी फासीवादी अब फिर आक्रामक होने लगे हैं वह गुंडागर्दी की एक से बढ़ाकर एक मिसालें कायम कर रहे हैं समाज में मज़दूर मेहनतकश अवाम व जनवाद के पक्ष में अन्याय के विरोध में आवाज उठाने वाली ताकतों पर वह दहशत कायम कर देना चाहते हैं। मद्रास में पेरियार स्टडी ग्रुप फिर हैदराबाद में अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएसन अब ख्याति प्राप्त जे एन यू कालेज में छात्र संघ पर हमला।
पिछले कुछ महीनों से भाजपा समर्थक पूंजीवादी प्रचार माध्यम लगातार प्रचार कर रहे थे कि जे एन यू देशद्रोहियों का अड्डा बना हुआ है। उनका निशाना खास तौर पर वामपंथी छात्र संगठन बने हुए थे जिनमें से तीन एस एफ आई, ए आई एस एफ और आइसा क्रमशः माकपा, भाकपा ओर भाकपा (माले) लिबरेशन से जुड़े हुए हैं। इनके अलावा कुछ क्रांतिकारी छात्र संगठन भी हैं। छात्र संघ में एक लम्बे समय से उपरोक्त तीन छात्र संगठनों का ही कब्जा रहा है। हालांकि ये तीनों सरकारी वामपंथी पाट्रियों से जुड़े व्यवस्था परस्त छात्र संगठन हैं तब भी सत्ता के नशे में चूर संघियों को इनका भी वामपंथ बर्दाश्त नहीं हो रहा है। खासकर इनकी साम्प्रदायिकता विरोधी गतिविधियां हिन्दू साम्प्रदायिक संघियों को बहुत परेशान करती हैं। इसी लिए संघ ने इस पर हमला किया। बहाना लिया देश विरोधी नारे लगाने के--- अफजल की फांसी के विरोध में नारेबाजी का , पाकिस्तान ज़िन्दाबाद कहने का कश्मीर की आज़ादी के नारे का आदि।
कुलमिलाकर थीएम सब जगह एक ही है। देशभक्ति का लाइसेंस का ठेका अम्बानी अडानी टाटा जैसों ने संघ भाजपा व ए बी वी पी को सत्ता पर बिठाकर दे दिया है।
जो लोग भी फासीवादी संघ के देश भक्ति के सांचे में नहीं ढलते उसे देश द्रोह घोषित कर दिया जाता है। ब्रिटिश शासकों के तलवे चाटने वाला संघ परिवार आज ओबामा, शिंजो अबे व ओलांद के चरणों में लोट पॉट हो रहा है। यही उसकी देश भक्ति है एक तरफ है अम्बानी अडानी टाटा एस्सार मित्तल जैसोन की चरण बंदना तो दूसरी तरफ ओबामा से लेकर ओलांद तक , फेहरिस्त लम्बी है। यही इनका बंन्दे मातरम हैं। यही इनका जय हिन्द है।
अब इनके घृणित हौसले इस कदर बढ़ चुके हैं क़ि ये न्यायालय परिसर के भीतर हमला करते हैं। गोली मार देने तक की बात करते हैं , लगातार हमला दर हमला कर रहे हैं। न्यायालय की अवमानना करते हुए न्याय के मत्स्य सिद्धांत को लागू करना फासिस्टों की फितरत है। संघी चाहते हैं कि उनका छात्र संगठन ए बी वी पी हर शिक्षा परिसर में काबिज हो जाये। वे सत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे इसके जरिये अपने हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
इस घटना ने एक हद तक संघ के राष्ट्रवाद को काफी हद तक बेनकाब किया है। संघ के दोगले चरित्र को बेनकाब किया है। जे एन यु में अफजल के समर्थन में नारे लगाने वाले के लिए देश द्रोही है तो दूसरी ओर कश्मीर में अफजल गुरु को शहीद बताने वाली पी डी पी के साथ सरकार बना चुकी है यह संघ परिवार के लिए राज्य के सन्दर्भ में किया गया प्रैग्मेटिक फैसला है , आत्मसात किये जाने का मामला है। वाह !! क्या अवसरवादी फासीवादी तर्क है। फासीवादी संघ घोर अवसरवादी है यह भी साबित हो गया।
संघी फासीवादी अब फिर आक्रामक होने लगे हैं वह गुंडागर्दी की एक से बढ़ाकर एक मिसालें कायम कर रहे हैं समाज में मज़दूर मेहनतकश अवाम व जनवाद के पक्ष में अन्याय के विरोध में आवाज उठाने वाली ताकतों पर वह दहशत कायम कर देना चाहते हैं। मद्रास में पेरियार स्टडी ग्रुप फिर हैदराबाद में अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएसन अब ख्याति प्राप्त जे एन यू कालेज में छात्र संघ पर हमला।
पिछले कुछ महीनों से भाजपा समर्थक पूंजीवादी प्रचार माध्यम लगातार प्रचार कर रहे थे कि जे एन यू देशद्रोहियों का अड्डा बना हुआ है। उनका निशाना खास तौर पर वामपंथी छात्र संगठन बने हुए थे जिनमें से तीन एस एफ आई, ए आई एस एफ और आइसा क्रमशः माकपा, भाकपा ओर भाकपा (माले) लिबरेशन से जुड़े हुए हैं। इनके अलावा कुछ क्रांतिकारी छात्र संगठन भी हैं। छात्र संघ में एक लम्बे समय से उपरोक्त तीन छात्र संगठनों का ही कब्जा रहा है। हालांकि ये तीनों सरकारी वामपंथी पाट्रियों से जुड़े व्यवस्था परस्त छात्र संगठन हैं तब भी सत्ता के नशे में चूर संघियों को इनका भी वामपंथ बर्दाश्त नहीं हो रहा है। खासकर इनकी साम्प्रदायिकता विरोधी गतिविधियां हिन्दू साम्प्रदायिक संघियों को बहुत परेशान करती हैं। इसी लिए संघ ने इस पर हमला किया। बहाना लिया देश विरोधी नारे लगाने के--- अफजल की फांसी के विरोध में नारेबाजी का , पाकिस्तान ज़िन्दाबाद कहने का कश्मीर की आज़ादी के नारे का आदि।
कुलमिलाकर थीएम सब जगह एक ही है। देशभक्ति का लाइसेंस का ठेका अम्बानी अडानी टाटा जैसों ने संघ भाजपा व ए बी वी पी को सत्ता पर बिठाकर दे दिया है।
जो लोग भी फासीवादी संघ के देश भक्ति के सांचे में नहीं ढलते उसे देश द्रोह घोषित कर दिया जाता है। ब्रिटिश शासकों के तलवे चाटने वाला संघ परिवार आज ओबामा, शिंजो अबे व ओलांद के चरणों में लोट पॉट हो रहा है। यही उसकी देश भक्ति है एक तरफ है अम्बानी अडानी टाटा एस्सार मित्तल जैसोन की चरण बंदना तो दूसरी तरफ ओबामा से लेकर ओलांद तक , फेहरिस्त लम्बी है। यही इनका बंन्दे मातरम हैं। यही इनका जय हिन्द है।
अब इनके घृणित हौसले इस कदर बढ़ चुके हैं क़ि ये न्यायालय परिसर के भीतर हमला करते हैं। गोली मार देने तक की बात करते हैं , लगातार हमला दर हमला कर रहे हैं। न्यायालय की अवमानना करते हुए न्याय के मत्स्य सिद्धांत को लागू करना फासिस्टों की फितरत है। संघी चाहते हैं कि उनका छात्र संगठन ए बी वी पी हर शिक्षा परिसर में काबिज हो जाये। वे सत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे इसके जरिये अपने हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
इस घटना ने एक हद तक संघ के राष्ट्रवाद को काफी हद तक बेनकाब किया है। संघ के दोगले चरित्र को बेनकाब किया है। जे एन यु में अफजल के समर्थन में नारे लगाने वाले के लिए देश द्रोही है तो दूसरी ओर कश्मीर में अफजल गुरु को शहीद बताने वाली पी डी पी के साथ सरकार बना चुकी है यह संघ परिवार के लिए राज्य के सन्दर्भ में किया गया प्रैग्मेटिक फैसला है , आत्मसात किये जाने का मामला है। वाह !! क्या अवसरवादी फासीवादी तर्क है। फासीवादी संघ घोर अवसरवादी है यह भी साबित हो गया।