4-5 लाख करोड़ रुपये काले धन का मोदी का दावा हवाई साबित हुआ
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बेशर्मी-झूठ-धूर्तता में फ़ासीवादी अव्वल होते हैं। यह बात फिर फिर पुष्ट हुई। नोटबंदी के सम्बन्ध में मोदी-जेटली के तर्क व दावे सुपरफ्लॉप हो गए। लेकिन फिर भी इनकी "बेशर्मी जिंदाबाद,झूठ मक्कारी जिंदाबाद" का स्लोगन जारी है। इनका नोटबंदी के लिए सबसे मजबूत तर्क व दावा था कि आर बी आई द्वारा जारी 500-1000 के नोटो का एक मुख्य हिस्सा वापस नही आएगा यानी 4-5 लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएगा, और ये 4-5 लाख करोड़ रुपये इसलिए वापस नही आएगा क्योकि यह काला धन होगा; और फिर इस पर सरकार का दावा होगा ये सरकार का मुनाफा होगा !!! इसके अलावा कहा गया था जाली नोट की रोकथाम, आतंकवाद पर लगाम लगेगी!! रिजर्व बैंक ने अब कहा है कि 98.96% नोट वापस आ गए है। अब इन गुजरे 10 माह में साबित हुआ कि नोटबंदी सुपरफ्लॉप रही शायद 1.04% भी वापस आ जाते यदि सरकार ने बाद के दौर में रोक नही लगाई होती ।
आम जनता के लिए तो यह एक त्रासदी से कम नहीं थी। 100 से ज्यादा लोगों की नोटबंदी की सर्जीकल स्ट्राइक ने हत्या कर दी । छोटे उद्योग धंधे के मालिक , कारोबारी का धंधा चौपट हो गया। किसान बर्बाद हुए। मज़दूर बेरोजगार हो गए। बी स्टैंडर्ड के मुताबिक 70 लाख लोग इस दौरान बेकार हो गए।इस तरह आर्थिक गतिविधियों के अत्यधिक संकुचित हो जाने से जी डी पी की दर भी लगभग 2 % तक गिर गई।
आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह कहा है कि नोटबंदी के दौरान महज 41 करोड़ रुपये के जाली नोट पकड़ में आए। कि नोटबंदी के बाद लोगों ने बंद हुए 15.44 लाख करोड़ रुपये में से 15.28 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग प्रणाली में जमा करा दिए। । लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपये के नोट वापस नही आये जबकि नए नोटों की छपाई की लागत 7,965 करोड़ रुपये रही। जबकि बैंको में जमा हो चुके कई लाख करोड़ रुपये की रकम पर सोचिए कितना व्याज बैंक को चुकाना होगा !!! यानी चौतरफा बर्बादी !!!
इस कवायद का असर वित्त वर्ष 2016-17 में सरकार को आरबीआई से मिलने वाले लाभांश पर पड़ा है, जो करीब आधा घटकर 30,659 करोड़ रुपये रहा।
भा ज पा का सहयोगी बी एम एस ने भी नोटबंदी पर कहा है- "असंगठित क्षेत्र की ढाई लाख यूनिटें बंद हो गईं और रियल एस्टेट सेक्टर पर बहुत बुरा असर पड़ा है. बड़ी तादाद में लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं."
लेकिन बेशर्मी व धूर्तता से वित्त मंत्री अरुण जेटली प्रधान मंत्री ने फिर दोहराया है कि नोटबंदी का असर अनुमान के अनुरूप ही रहा है कि जो पैसा बैंकों में जमा हो गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह पूरा धन वैध है। नरेंद्र मोदी ने लाल किले से बताया कि नोटबंदी के बाद 3 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में आ गए। इसमें से जमा 1.75 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन शक के दायरे में है। इसके अलावा 2 लाख करोड़ रुपये का काला धन बैंक पहुंचा है। इन फर्जी व गोल मोल बातों को करके अवाम को बार बार धोखा नही दिया जा सकता।
अब "अर्थशास्त्री" भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि अर्थव्यस्था नोटबंदी की वजह से नही गिरी बल्कि 'तकनीकी' कारणों से हुआ है।
कहां तो 4-5 लाख करोड़ के काले धन का दावा !! जिसे कि वापस ही नही लौटना था। और कंहा अब जो पैसे वापस आ गए है उसमें से 3 लाख करोड़ पर काला धन होने का दावा !! बेशर्मी, धूर्तता व कुतर्क की कोई इंतहा नही !!
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