जनवादी अधिकारों के लिए संघर्षशील व साम्राज्यवाद विरोधी क्रांतिकारी संगठन
Tuesday, 29 April 2014
Monday, 28 April 2014
PAMPHLET CIRCULATED DURING THE PARLIAMENTRY ELECTION 2014
पूंजीवाद मुर्दाबाद ! समाजवाद जिंदाबाद !! वर्तमान चुनाव में क्या करें? क्या न करें?
साथियो,
इस वक्त लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में सभी पूंजीवादी पार्टियां हमारी जिंदगी को-मजदूरों-मेहनतकशों की जिंदगी को खुशहाल बनाने का सपना दिखा रही हैं। वे वोट के लिये लुभावने सपने बेच रही हैं। वायदों की झड़ी लगा रही हैं।
मजदूर-मेहनतकश अवाम की जिंदगी नर्क बनी हुयी है। मजदूर कमरतोड़ मेहनत करके भी कंगाल हैं। इस पर भी छटनी की नंगी तलवार उसके सिर पर लटकती रहती है । खेत मजदूर व गरीब किसान की हालत और भी खराब है। देश भर में किसान भारी संख्या में आत्महत्या करने को विवश हो रहे हैं। कर्ज़ के बोझ से दबे हुये बुनकर, दस्तकार व अन्य मेहनतकश हिस्से के जीवन में कोई सपना पूरा होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इनके बेटों के लिये न कोई अच्छी शिक्षा की व्यवस्था है और न ही कोई सम्मानजनक रोजगार है। मंहगाई व्यापक आबादी की कमर तोड़ रही है । दूसरी तरफ, देशी-विदेशी पूंजीपति इस देश को लूट कर मालामाल हो रहे हैं। ये बड़े-बड़े मगरमच्छ मजदूरों-मेहनतकशों को अपने मुनाफे की अतृप्त भूख को मिटाने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं । लेकिन इनकी भूख अतृप्त ही बनी रहती है।
इनकी लूट को कानूनी तौर पर सुगम बनाने के लिये कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका पूरी तरह से लगी हुयी है। मीडिया-अखबार, टी0वी0 चैनल, इत्यादि-इनकी लूट के पक्ष में माहौल बनाने के लिये पूरा प्रयास कर रहे हैं।
दोस्तो,
आखिर मजदूरों-मेहनतकशों की वर्तमान हालत के लिये कौन जिम्मेदार है?
इसके लिये वे राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार हैं जो मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था को बनाये रखना चाहती हैं। इनके ’सशक्त, मजबूत भारत’ का अर्थ है देशी-विदेशी पूंजीपतियों को लूट के और मौके देना तथा मजदूरों-मेहनतकशों की बढ़ती बदहाली और कंगाली। इनके ‘समावेशी विकास’ का मतलब है मजदूरों –मेहनतकशों की आंखों में धूल झोंककर पूंजीपतियों की ताबेदारी करना । भ्रश्टाचार मिटाने के इनके नारे का मतलब है कि अफसरशाही को और ज्यादा निरंकुश बनाना । इसी तरह के इनके तरह-तरह के वायदे ढोंग के सिवाय और कुछ नहीं हैं।
यहां के मजदूर-मेहनतकश अपने अनुभव से यह अच्छी तरह जानते हैं कि वे जब भी अपनी न्यायसंगत मांगों के लिये संगठित होकर संघर्ष करते हैं तो व्यवस्था के सभी अंग-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका-उनको कुचलने के लिये हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं । इसमें सबसे बड़े मददगार ये तथाकथित जनता के प्रतिनिधि होते हैं। और आज ये ही आपसे वोट मांगने के लिये आ रहे हैं। यानि जो ताकतें मजदूरों-मेहनतकशों की बदहाल जिंदगी के लिये जिम्मेदार हैं, वे ही आज उनके तारनहार के बतौर अपने को पेश कर रही हैं।
वे इसी को जनतंत्र कहते हैं। वे इसी को जनता की सबसे बड़ी ताकत बताते हैं। जबकि हकीकत यह है कि जनता की भूमिका मतदान करने तक ही सीमित होती है। बाकी समय तो उस पर डंडा ही बरसता है । ये डंडा बरसाने के साथ-साथ मजदूरों-मेहनतकशों को जाति, धर्म, भाषा और इलाके के आधार पर बांटकर उनके बीच फूट के बीज बोते हैं।
ऐसी स्थिति में, मजदूरों-मेहनतकशों के सामने क्या रास्ता है?
मजदूरों-मेहनतकशों के सामने संगठित होकर संघर्ष करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है। जो लोग इस व्यवस्था से परेशान हैं, उनके सामने यह रास्ता है कि वे अपनी परेशानी की जड़ पूंजीवाद को खतम करने के लिये अपने को संगठित करें । वे पूंजीवाद को खतम करके एक नये समाज-समाजवादी समाज-के निर्माण के लिये संघर्ष करें।
मित्रो,
तब यह सवाल उठता है कि इस चुनाव में क्या करें?
इस चुनाव में भी अपनी संगठित ताकत का इस्तेमाल करने की ओर बढ़ें । अपने रोज-ब-रोज के संघर्षों में समाजवाद की दिशा में संघर्ष करें । आइये ! साथियों हमारे इस संघर्ष के हमसफर बनें :
हम जिस समाज की स्थापना के लिये संघर्ष करना चाहते हैं, उसके आम कार्यभार निम्न हैं-
1. समस्त देशी –विदेशी पूंजीपतियों की पूंजी को जब्त किया जायेगा । उत्पादन के साधनों पर सामाजिक मालिकाना होगा।
2. साम्राज्यवादी देशों व संस्थाओं के कर्ज की अदायगी से इन्कार किया जायेगा। इनके साथ सभी गैर-बराबरी पूर्ण संधियां रद्द की जायेंगी ।
3. शोषण करने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाया जायेगा ।
4. सम्पत्तिशाली वर्गों के विशेषाधिकार समाप्त किये जायेंगे ।
5. सबको सम्मानजनक रोजगार की गारंटी दी जायेगी ।
6. सभी नागरिकों के लिये निःशुल्क, वैज्ञानिक, प्रगतिशील व श्रम के प्रति सकारात्क दृश्टिकोण पैदा करने वाली शिक्षा व निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा दी जायेगी । जन्म से लेकर मृत्यु तक सामाजिक सुरक्षा मुहैय्या करायी जायेगी।
7. विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के सभी स्तरों पर जनता के प्रतिनिधियों का चुनाव किया जायेगा। जनता को उन्हें वापस बुलाने का अधिकार होगा।
8. विदेश नीति को स्वतंत्र, साम्राज्यवाद-विरोधी, न्यायपूर्ण आंदोलनों की समर्थक व सहयोगी तथा समानता के आधार पर दूसरे देशों से संबंध बनाने वाली बनाया जायेगा। भारतीय विस्तारवाद को समाप्त किया जायेगा तथा पड़ोसी देशों से असमान संधियां रद्द की जायेंगी।
9. नारी उत्पीड़न, जातिगत उत्पीड़न, साम्प्रदायिकता और राष्ट्रीयता के उत्पीड़न का समूल नाश किया जायेगा।
10. औद्योगिक विकास इस तरह से किया जायेगा जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहे।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथः-
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन
परिवर्तनकामी छात्र संगठन,
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र
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