केंद्रीय सेमिनार व तुरिकोरिन प्रदर्शनकारियों की हत्या के विरोध में प्रस्ताव
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) का केन्द्रीय सेमिनार 27 मई के दिन बरेली में सम्पन्न हुआ। सेमिनार का विषय- ‘‘मेहनतकशों, दलितों, अल्पसंख्यकों व जनवादी ताकतों पर बढ़ते फासीवादी हमले’’ था। इस सेमिनार में शामिल होने के लिए उ.प्र. तथा उत्तराखण्ड व पंजाब से लोग आए थे।
सेमिनार का प्रारम्भ प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी गीत ‘एक है उनकी एक है अपनी मुल्क में आवाजें दो’ से हुआ। केन्द्रीय सेमिनार में क्रालोस महासचिव भूपाल द्वारा सेमिनार पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें पिछले 4 वर्षों में दलितों पर हुए संघी हमलों, मुसलमानों पर हमलों, जनवादी चिंतकों पर हमलों का जिक्र किया गया। और बताया गया कि फासीवाद से लड़ने के नाम पर पूंजीवादी-संशोधनवादी दलों के चुनावी मोर्चे फासीवाद को चुनौती नहीं दे सकते। फासीवाद को चुनौती मजदूर वर्ग के नेतृत्व में सड़कों पर संघर्ष के जरिये ही दी जा सकती है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए बरेली काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डा. सोमेश यादव ने मेहनतकश वर्ग, दलितों और महिलाओं पर हमले बढ़ने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि जो लोग सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं या जनता की आवाज उठा रहे हैं उनकी हत्याएं तक की जा रही हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे कार्मिक यूनियन (PRKU) के मण्डलीय अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान फासीवादी आंदोलन निजीकरण को तीव्र गति से लागू कर रहा है। आंकड़ों के माध्यम से देश में बढ़ती बेरोजगारी की तस्वीर रख राकेश मिश्रा ने बताया कि किस प्रकार फ़ासीवादी ताकतें इस मुद्दे को गायब कर धर्म के नाम के राजनीति कर रहे हैं।
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की बदायूं इकाई सचिव एड. नफशां निगार ने महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार-बलात्कार की प्रवृत्तियों पर इशारा करते हुए कहा कि फासीवादी संगठनों की महिलाओं को घर में कैद रखने की प्रवृत्ति और पितृसत्तात्मक मूल्य तथा उपभोक्तावादी मूल्य महिलाओं पर अत्याचार को बढ़ा रहे हैं। इसका प्रतिरोध करना होगा।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के केन्द्रीय अध्यक्ष कमलेश ने कहा कि शिक्षा व संस्कृति को अपने फासीवादी एजेंडे के हिसाब से ढालने का संघ परिवार हर जतन कर रहा है।। इसलिए विश्वविद्यालय तथा काॅलेज भी फासीवादियों से उस टकराहट का अखाड़ा बन रहे हैं। जेएनयू, एएमयू आदि इसके उदाहरण हैं। छात्रों की स्वतंत्र सोच व चिंतन तथा अभिव्यक्ति पर संघ तथा मोदी सरकार का यह सुनियोजित हमला कर रही है।
BTUF के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि आज श्रम कानूनों व ट्रेड यूनियन कानूनों पर हमले हो रहे हैं तो दूसरी ओर आम जन को मिलने वाली चंद सुविधाएं व सब्सिडी हर क्षेत्र में खत्म हो रही हैं। जनता का पैसा पूंजीपतियों को कर्जे के रूप में दिया गया, उसकी वसूली जनता से की जा रही है।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) के केन्द्रीय अध्यक्ष पी.पी.आर्या ने सेमिनार के समापन सत्र पर बोलते हुए कहा कि फासीवादी जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं आम अवाम के हर हिस्से को अपने विरोध में करते जाते हैं। यही इनकी असल कमजोरी है और हमारी ताकत। हमें मजदूरों, छात्रों, दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, किसानों व महिलाओं के हर तबके व वर्ग पर होने वाले फासीवादी हमले का पुरजोर विरोध करते हुए आगे बढ़ना होगा।
इसके अलावा सेमिनार में बरेली से प्रो. ताहिर बेग, उन्नाव से किसान संगठन के प्रतिनिधि, बरेली से सी पी एम के राजीव शांत व अन्य साथियों ने अपने विचार रखे।
सेमिनार में तूतीकोरिन प्रदूषण के चलते अस्तित्व का खतरा पैदा हो जाने से वहां की स्थानीय जनता के स्टर्लाइट कम्पनी के खिलाफ प्रदर्शन पर तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा गोलियां चलाने व 13 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही एक प्रस्ताव देश में बढ़ते फसीवादी हमलों के खिलाफ पारित किया गया।
सेमिनार के समापन के बाद अंत में एक जुलूस फासीवाद विरोधी नारों के साथ चौकी चौराहे से कोतवाली अम्बेडकर पार्क तक निकाला गया।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) का केन्द्रीय सेमिनार 27 मई के दिन बरेली में सम्पन्न हुआ। सेमिनार का विषय- ‘‘मेहनतकशों, दलितों, अल्पसंख्यकों व जनवादी ताकतों पर बढ़ते फासीवादी हमले’’ था। इस सेमिनार में शामिल होने के लिए उ.प्र. तथा उत्तराखण्ड व पंजाब से लोग आए थे।
सेमिनार का प्रारम्भ प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी गीत ‘एक है उनकी एक है अपनी मुल्क में आवाजें दो’ से हुआ। केन्द्रीय सेमिनार में क्रालोस महासचिव भूपाल द्वारा सेमिनार पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें पिछले 4 वर्षों में दलितों पर हुए संघी हमलों, मुसलमानों पर हमलों, जनवादी चिंतकों पर हमलों का जिक्र किया गया। और बताया गया कि फासीवाद से लड़ने के नाम पर पूंजीवादी-संशोधनवादी दलों के चुनावी मोर्चे फासीवाद को चुनौती नहीं दे सकते। फासीवाद को चुनौती मजदूर वर्ग के नेतृत्व में सड़कों पर संघर्ष के जरिये ही दी जा सकती है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए बरेली काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डा. सोमेश यादव ने मेहनतकश वर्ग, दलितों और महिलाओं पर हमले बढ़ने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि जो लोग सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं या जनता की आवाज उठा रहे हैं उनकी हत्याएं तक की जा रही हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे कार्मिक यूनियन (PRKU) के मण्डलीय अध्यक्ष राकेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान फासीवादी आंदोलन निजीकरण को तीव्र गति से लागू कर रहा है। आंकड़ों के माध्यम से देश में बढ़ती बेरोजगारी की तस्वीर रख राकेश मिश्रा ने बताया कि किस प्रकार फ़ासीवादी ताकतें इस मुद्दे को गायब कर धर्म के नाम के राजनीति कर रहे हैं।
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की बदायूं इकाई सचिव एड. नफशां निगार ने महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार-बलात्कार की प्रवृत्तियों पर इशारा करते हुए कहा कि फासीवादी संगठनों की महिलाओं को घर में कैद रखने की प्रवृत्ति और पितृसत्तात्मक मूल्य तथा उपभोक्तावादी मूल्य महिलाओं पर अत्याचार को बढ़ा रहे हैं। इसका प्रतिरोध करना होगा।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के केन्द्रीय अध्यक्ष कमलेश ने कहा कि शिक्षा व संस्कृति को अपने फासीवादी एजेंडे के हिसाब से ढालने का संघ परिवार हर जतन कर रहा है।। इसलिए विश्वविद्यालय तथा काॅलेज भी फासीवादियों से उस टकराहट का अखाड़ा बन रहे हैं। जेएनयू, एएमयू आदि इसके उदाहरण हैं। छात्रों की स्वतंत्र सोच व चिंतन तथा अभिव्यक्ति पर संघ तथा मोदी सरकार का यह सुनियोजित हमला कर रही है।
BTUF के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि आज श्रम कानूनों व ट्रेड यूनियन कानूनों पर हमले हो रहे हैं तो दूसरी ओर आम जन को मिलने वाली चंद सुविधाएं व सब्सिडी हर क्षेत्र में खत्म हो रही हैं। जनता का पैसा पूंजीपतियों को कर्जे के रूप में दिया गया, उसकी वसूली जनता से की जा रही है।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) के केन्द्रीय अध्यक्ष पी.पी.आर्या ने सेमिनार के समापन सत्र पर बोलते हुए कहा कि फासीवादी जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं आम अवाम के हर हिस्से को अपने विरोध में करते जाते हैं। यही इनकी असल कमजोरी है और हमारी ताकत। हमें मजदूरों, छात्रों, दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, किसानों व महिलाओं के हर तबके व वर्ग पर होने वाले फासीवादी हमले का पुरजोर विरोध करते हुए आगे बढ़ना होगा।
इसके अलावा सेमिनार में बरेली से प्रो. ताहिर बेग, उन्नाव से किसान संगठन के प्रतिनिधि, बरेली से सी पी एम के राजीव शांत व अन्य साथियों ने अपने विचार रखे।
सेमिनार में तूतीकोरिन प्रदूषण के चलते अस्तित्व का खतरा पैदा हो जाने से वहां की स्थानीय जनता के स्टर्लाइट कम्पनी के खिलाफ प्रदर्शन पर तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा गोलियां चलाने व 13 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही एक प्रस्ताव देश में बढ़ते फसीवादी हमलों के खिलाफ पारित किया गया।
सेमिनार के समापन के बाद अंत में एक जुलूस फासीवाद विरोधी नारों के साथ चौकी चौराहे से कोतवाली अम्बेडकर पार्क तक निकाला गया।
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