अभियान:
मोदी के 5 साल : देश किधर जा रहा है ?
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इन्कलाबी मज़दूर केंद्र व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा मोदी सरकार के 5 सालों के दौरान लागू की गई मज़दूर विरोधी, छोटे-मझोले किसान व आम मेहनतकशजन विरोधी नीतियों को बेनकाब करने हेतु एक अभियान उत्तराखंड,उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा के कुछ अलग अलग हिस्सों में चलाया।
इस अभियान हेतु एक पुस्तिका जारी की गई जिसका शीर्षक था : मोदी के 5 साल-देश किधर जा रहा है ? इसके अलावा व्यापक अभियान के लिए एक पर्चा भी जारी किया गया जिसका शीर्षक था: बहुरूपिये रूप धर कर छलें इससे पहले उन्हें सबक सीखा दो !
पुस्तिका में मोदी के 5 साल में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत, मज़दूर विरोधी फैसलों मसलन श्रम कानूनों व ट्रेड यूनियन को ध्वस्त करने वाले बदलाव, छोटे मझोले किसान विरोधी फैसलों, महिलाओं-दलितों-अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों जनवाद विरोधी कदमों, मोदी सरकार की साम्राज्यवादपरस्ती आदि कदमों को बेनकाब किया गया है।
15 जनवरी से 15 के बीच यह अभियान चलाया गया। अभियान में अवाम के अलग अलग हिस्सों से व्यापक बातचित हुई। अभियान दलित व अल्पसंख्यक आबादी के बीच भी चलाया गया। अभियान में यह महसूस किया गया कि मोदी की छवि एक हद तक धूमिल हुई है।
दलितों व अल्पसंख्यकों के बीच स्वाभाविक था कि संघ परिवार व मोदी सरकार की घृणित रुझान के चलते आक्रोश होता। मोदी भक्त मीडिया व संघी प्रचार को छोड़ दिया जाय तो अभियान में यह साफ दिखा कि जनता अलग अलग हिस्सों जे बीच कम या ज्यादा रूप में मोदी सरकार के खिलाफ एक गुस्सा या नाराज़गी है मज़दूर वर्ग के लिये तो वैसे भी यह समझना मुश्किल नहीं है कि 'प्रधान सेवक' उनका नहीं लम्पट पूंजी का सेवक है।
मोदी के 5 साल : देश किधर जा रहा है ?
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इन्कलाबी मज़दूर केंद्र व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा मोदी सरकार के 5 सालों के दौरान लागू की गई मज़दूर विरोधी, छोटे-मझोले किसान व आम मेहनतकशजन विरोधी नीतियों को बेनकाब करने हेतु एक अभियान उत्तराखंड,उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा के कुछ अलग अलग हिस्सों में चलाया।
इस अभियान हेतु एक पुस्तिका जारी की गई जिसका शीर्षक था : मोदी के 5 साल-देश किधर जा रहा है ? इसके अलावा व्यापक अभियान के लिए एक पर्चा भी जारी किया गया जिसका शीर्षक था: बहुरूपिये रूप धर कर छलें इससे पहले उन्हें सबक सीखा दो !
पुस्तिका में मोदी के 5 साल में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत, मज़दूर विरोधी फैसलों मसलन श्रम कानूनों व ट्रेड यूनियन को ध्वस्त करने वाले बदलाव, छोटे मझोले किसान विरोधी फैसलों, महिलाओं-दलितों-अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों जनवाद विरोधी कदमों, मोदी सरकार की साम्राज्यवादपरस्ती आदि कदमों को बेनकाब किया गया है।
15 जनवरी से 15 के बीच यह अभियान चलाया गया। अभियान में अवाम के अलग अलग हिस्सों से व्यापक बातचित हुई। अभियान दलित व अल्पसंख्यक आबादी के बीच भी चलाया गया। अभियान में यह महसूस किया गया कि मोदी की छवि एक हद तक धूमिल हुई है।
दलितों व अल्पसंख्यकों के बीच स्वाभाविक था कि संघ परिवार व मोदी सरकार की घृणित रुझान के चलते आक्रोश होता। मोदी भक्त मीडिया व संघी प्रचार को छोड़ दिया जाय तो अभियान में यह साफ दिखा कि जनता अलग अलग हिस्सों जे बीच कम या ज्यादा रूप में मोदी सरकार के खिलाफ एक गुस्सा या नाराज़गी है मज़दूर वर्ग के लिये तो वैसे भी यह समझना मुश्किल नहीं है कि 'प्रधान सेवक' उनका नहीं लम्पट पूंजी का सेवक है।
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